पहाड़ छूट गया
September 24, 2015 2 Comments
साँसों में जो बसा
वो पहाड़ छूट गया,
दिल से बंधा एक
तार टूट सा गया।
क्या खूब थे नज़ारे
नदी हवा बादल,
अब बस वो यादें
किया करें पागल।
सुबह दोपहर शाम
खेल सब कुछ भूल,
जिधर नजर जाए
खेत पेड़ और फूल।
खाने का खूब स्वाद
चटनी दाल और भात,
आसमां के तारे गिनते
सबके संग रोज रात।
समय के साथ वो सब
आज सपने सा दिखे,
बेहतर की कोशिश में
बस भागते हम रहे।
Bahut khoob!
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धन्यवाद…
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