नया गीत…
December 27, 2015 Leave a comment
आज की रात फिर से कहीं,
नींद चहलकदमी पर है।
कहो तो एक नया गीत,
तुम्हारे नाम लिख दूं।
शब्दों में ढ़ाल कर तुम्हे,
एक और नए रुप में देखूं।
मुस्कुराना तुम खुद को,
नया सा फिर से पा कर।
और मैं रात ख़्वाबों में,
एक बार फिर से तुम्हे देखूं।