अधिकार नहीं….
January 16, 2016 3 Comments
हाँ मेरा तुम पर अधिकार नहीं
जीवन में अब वो रस-धार नहीं,
जिन आँखों ने स्वपन सजोये थे
उन नैनों में अब अश्रुधार सही।
इस हृदय ने चाहा था तुम्हे कभी
वो पल हर-पल जैसे हो यहाँ अभी,
मन ने कितने ही थे जो महल बनाये
पग-पग में सब बिखरे धूमिल यहीं।
इन हाथों में थामें हाथ तुम्हारा प्रिये
कितने ही मौसम दोनों हम संग जिए,
नक़्शे खींचे थे कुछ जीवन की राहों के
जुदा मंज़िलों पर हम फिर चल दिए।
तुम्हे समझा पाने के सब प्रयत्नों से
दूर निकल चली तुम मेरे जतनों से,
विजयी ध्वज कुछ फहराने थे पर
जीवन में अब हार मिली तो हार सही।
#दिलसे
ये हार जीत की बात नहीं,जीवन की संगीत है,बिताये दिनों की ये यादें ही हमारी मीत हैं,इसे न भूलें कभी न भुलायें।
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बहुत ही प्यारा ख़्याल है ,पढ़कर सकूंन और मन गदगद हो गया।इन ख़्यालों को आगे भी दर्शाते रहें।
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धन्यवाद बहुत बहुत आपका 🙏
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