नया लिबास…
January 29, 2016 7 Comments
तुम से मिला इन दिनों तो
तुम, तुम सी नहीं लगी
सामने बैठी थी मेरे लेकिन
कितनी गम-सुम सी ही रहीं
दूर बहुत थे दोनों हम फिर भी
बस ये चाहा की खुश तुम रहो
हालात कैसे भी हो जीवन में
मुझ से बस कभी झूठ ना कहो
दिल खोल कर अपना रख दिया
बिन कुछ सोचे सब तुम्हे कहना
पहले सा सब था नहीं और
पड़ रहा था रोष तुम्हारा सहना
वक़्त के थपेड़ों ने शायद
तुम्हे मुझसे दूर कर दिया
कुछ नए लिबासों से तुम ने
पुराने रिश्तों को बदल लिया
#दिलसे
यादों को सजाया है आप ने ,दिल खोल कर रक्खा है आपने,लेखनी सटीकऔर अच्छी है,
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धन्यवाद बहुत बहुत आपका 🙏
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Beautiful
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Thank you!
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Ham bhi shayriya and poems likhte hai? Kya aapne padhi hai??
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Good 1…
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