बेमौसम बरसना..
June 17, 2016 Leave a comment
बरसना बेमौसम इन बूंदों का,
याद आना उसका वो पागलपन।
सिर्फ यादों से कहाँ बहलता,
अब मेरा ये पागल मन।
उसकी भीगने की वो ख़्वाहिश,
बूंदों का तन से होता मिलन।
मुस्कुराहट में ही उसकी सब पा लेना,
प्रीत की अदभुत सी चुभन।
नहीं वो पास अब तो बहते हैं,
इस बरसात से मेरे ये दो नयन।
#दिलसे