चाँद
January 20, 2017 Leave a comment
रात भर चाँद झाँकता रहा खिड़की से
और ढूँढता रहा तुम्हे आग़ोश में मेरे,
उसे शायद इस बात की ख़बर नहीं की
अब तुम मेरे ख़्वाबों तक में नहीं हो।
रात भर चाँद पूछता रहा तुम्हारा पता
और देख भर लेने की मिन्नतें करता रहा,
उसे शायद इस बात की ख़बर नहीं की
अब मुझे तुम्हारी कोई ख़बर ही नहीं।
रात भर चाँद भरता रहा सिसकियाँ
और क़तरों से सींचता रहा मेरा दामन,
उसे शायद इस बात की ख़बर नहीं की
अब तुम आँसुओं से दूर ही रहती हो।
रात भर चाँद को समझाया था मैंने बहुत
और तुम्हें भुला देने की नसीहत भी दी,
उसे शायद इस बात की ख़बर नहीं की
अब तुम एक नए आसमान का सितारा हो।
#दिलसे