ज़र्द ख़्वाब…
June 30, 2017 2 Comments
कुछ नए ज़र्द से ख़्वाब लिखे हैं इन दिनों
और तुम्हारे सिरहाने तले सब रख छोड़े हैं
पुरानी यादों की बारिश से भीगी हुई वो रातें
और आँखों से किये वादे जो तुमने तोड़े हैं।
मुड़कर उन दिनों को जीने की मेरी कोशिश
और तुमने मेरे लिखे खत भी तो अब मोड़े हैं
मुझे उन अनकहे वादों को निभाने की जिद्द
और तुमने कुछ नए चमकते सितारे बटोरे हैं।
#दिलसे
बहुत खूब।
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शुक्रिया
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