उबल रहा है…
December 12, 2014 2 Comments
कुछ बदल रहा है,
सब जल रहा है।
धर्म का धुआँ,
समाज निगल रहा है।
मैं हिन्दू हूँ,
और तू मुस्लिम।
आज हर ओर,
यही चल रहा है।
बाँट कर समाज,
फैला सांप्रदायिक उन्माद।
कुछ लोगों का,
धंधा फल रहा है।
रोज दंगों की खबर,
खौफ हर पहर।
एक बार फिर,
ये देश उबल रहा है।