सुनता हूँ..
July 10, 2014 2 Comments
सुनता हूँ, पर सुनता नहीं;
शोरगुल है चारों ओर,
क्यूं बस खुद को ही सुनता हूँ मैं।
अकेला नहीं, कई और मुझसे हैं यहाँ;
इतनी भीड़ चारों ओर,
लेकिन बस खुद को ढूंढता हूँ मैं।
क्या खोने को है, क्या पा सकता हूँ;
इतना कुछ चारों ओर,
फिर भी बस खुद की ही तलाश मे हूँ मैं।
(Adapted from Ashish Garg’s post – Hope)