हमारे नेता
July 19, 2013 5 Comments
कहीं बु्र्के की चर्चा,
कहीं निक्करों का जिक्र है।
इस देश की यारों,
इन को कहाँ फिक्र है।
रेम्बो, डम्बो की चर्चाऔं में दिनो रहे ये खोए,
जब देश के जवान रात रात भर ना सोए।
हिंदुत्व, राष्टृवादी, समाजवादी और ना जाने क्या क्या,
ये सब मिलकर दे रहे हैं देश को दगा।
आज भी दम तोड़ते बच्चों की फिक्र कहाँ,
सियासत की सिर्फ ये सेक रहे हैं रोटियाँ।
लड़ रहे जो आज,
कल एक दूजे की बाहों में नज़र आएंगे।
इन के बस में जो हो,
तो देश बेचकर खा जाऐंगे।