इश्क़ तेरा…
February 21, 2016 14 Comments
तुम्हारी ज़ुल्फ़ और काँधे का तिल,
हाथ से फिसलता रहा मेरा ये दिल।
ख़ुश्बू तेरे जिस्म की जानता हूँ मैं,
खुद से दूर पर इसे पहचानता हूँ मैं।
यूँ ही सोता रहूँ मैं आग़ोश में तेरे,
ख़्वाबों में बस तू ही दिन-रात मेरे।
मुस्कुराहटें तेरी मेरी रूह का सुक़ून,
तेरे इश्क़ का अंदर उबलता रहा जूनून।
#दिलसे