आँसू…

एक दौर था जब आँसू भी मेरे ना वो देख पाते थे,
आलम ये है की ज़िगर का खून भी पानी नज़र आता है।

#दिलसे

अधिकार नहीं….

हाँ मेरा तुम पर अधिकार नहीं
जीवन में अब वो रस-धार नहीं,
जिन आँखों ने स्वपन सजोये थे
उन नैनों में अब अश्रुधार सही।

इस हृदय ने चाहा था तुम्हे कभी
वो पल हर-पल जैसे हो यहाँ अभी,
मन ने कितने ही थे जो महल बनाये
पग-पग में सब बिखरे धूमिल यहीं।

इन हाथों में थामें हाथ तुम्हारा प्रिये
कितने ही मौसम दोनों हम संग जिए,
नक़्शे खींचे थे कुछ जीवन की राहों के
जुदा मंज़िलों पर हम फिर चल दिए।

तुम्हे समझा पाने के सब प्रयत्नों से
दूर निकल चली तुम मेरे जतनों से,
विजयी ध्वज कुछ फहराने थे पर
जीवन में अब हार मिली तो हार सही।

#दिलसे

ज़ख्म…

गुज़रा तेरे शहर से…तो कुछ ख़त्म सा था,
आँख में आंसू की जगह…एक ज़ख्म सा था।
तुझे भुला देने के सिवा…कोई सूरत भी नहीं,
कभी जिंदगी में मेरीे…तू मलहम सा था।

रुमाल..

ये साल भी गया
तेरा ख़्याल ना गया
कल महकती रात में
मेरा एक और रुमाल गया।

#दिलसे

शिकायतें…

मोहब्बत में इतनी शिकायतें अच्छी नहीं होती,
दिल दुखता है देख तेरी आँखों से गिरते मोती।

छूट जाएंगे…

तेरी मेरी चाहतों के सिलसिले,
बीच राह में कुछ यूँ टूट जाएंगे।
जिंदगी के इस लम्बे सफ़र में,
हाथ अपने क्या आज छूट जाएंगे।
मुस्कुराहट में तेरी दर्द की आहट,
ये हंसी ही कभी देती थी राहत।
ज़ुबाँ को शब्द कुछ सूझते नहीं,
अपने इस अंजाम पर होता ना यकीं।
काँधे पर अपने मुझे रखने दे सर,
आखिरी शायद आज अपना ये सफ़र।

(Inspiration – A teary-eyed young couple in Delhi Metro on the verge of seperating)

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