रास्ते…

#दिलसे

घर..मकान…

​बचपन जिस घर में बीता था,
भाइयों के लिए आज वो मकान हो गया।

#दिलसे

रात..

​मुस्कुरा देता है वो बचपन रात मुझे देखकर,
सुबह बहुत नाराज़ था जो।

#दिलसे

ख़्वाबों…

​किताबों में मुझे पढ़ रही होगी
मेरे ख़्वाबों से शायद लड़ रही होगी
पा लेना मुझे मुश्किल भी न था
ख़ुद से अब वो बहुत झगड़ रही होगी।

#दिलसे

Chitthi: Best of Swalekh : Aug 7

Got published here… #चिट्ठी

आज सिरहाने

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मेरी ज़मीन…

​ख़ामोश हूँ
शब्दविहीन
जीवन क्या
अर्थहीन
ना उमड़ते
ख़्याल
कहाँ वो
सवाल
बस चलना
दिशाहीन
आसमाँ अब
मेरी ज़मीन।

#दिलसे

गुड्डा

“माँ, मुन्ना कब बोलेगा और मुझे गले लगाएगा?” सोनू ने कपड़े के गुड्डे को गले लगते हुए माँ से पूछा।

कमला रोटी बनाते-बनाते एक पल के लिए रुक गई और खुद को संभालते हुए बोली “शाम को पिताजी से पूछना”

खाट पर बैठी सोनू की दादी ने मुँह बनाते हुए कमला को घूरा।

“माँ, तुम कहती थी की जल्दी ही भाई लाने वाली हो मेरे लिए जो मेरे साथ खेलेगा। तुम उस दिन अस्पताल गयी पिताजी के साथ, गुड्डा तो ले आईं पर ये सोता ही रहता है?”

कमला चूल्हा बंद कर रोते हुए घर से बाहर निकल गई….

(Originally posted at https://aajsirhaane.com based on a picture cue under 101 word stories category

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https//aajsirhaane.com/2016/06/11/week-18-gudiyon-ke-bazaar-mein/)

बड़ी बहन

दीपू शांती से एक साल छोटा था, लेकिन जिंदगी के थपेड़ों ने उसे उम्र से पहले बड़ा कर दिया। बाहर की दुनिया के लिए वो शांती का बड़ा भाई था, उसके हर सुख-दुख का ख़याल रखने वाला।

माँ-बाप की सड़क पर काम करते हुए मौत हो गयी थी। शांती पर काफी लोगों की नज़र थी, मगर दीपू दिवार बनकर खड़ा था उसके और दुनिया के बीच में।

आज भी जब दोनों खाना खा रहे थे तो मंगल आया था, लेकिन दीपू ने हाथ में खुखरी उठाकर शोर मचा दिया। और उसको भागता देख शांतीे मुस्करा उठी।

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Link : https://aajsirhaane.com/2016/03/19/week-12-zindagi-inki-bhi/)

शाँति..

मृदुल आज कुछ समय अकेले बिताना चाहता था, सुबह घर से आए ख़त को पढ़कर वो दुखी था।

पिताजी गुज़र गए थे, वो मृदुल की खराब आदतों से काफी परेशान रहते थे। आए दिन मृदुल के पुलिस थानों के चक्कर लगते, हद्द तो तब हो गयी जब मृदुल ने अपनी ही बहन की इज्जत पर हाथ डाल दिया और उसने आत्महत्या कर ली। उस दिन से मृदुल मृदुल ना रहा, दुनिया भर शांति की तलाश में भटका।

वो असीम शांति उसे यहां पहाड़ों में छोटे से गाँव में मिली थी, और गाँव वालों ने उसे भगवान् का दर्जा दे दिया।

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Link : https://aajsirhaane.com/2016/05/21/week-17-kitne-buddh/)

कहानियाँ

इन आँखों में अभी पानी संभाले रखना,
बहुत सी कहानियाँ तुम्हे सुनानी बाकी हैं।

#दिलसे

किताब

कुछ पन्नों में मेरा भी ज़िक्र है,
वो किताब जो तुमने कबसे नहीं खोली।

रात..

ना पूछता कुछ ना ही कुछ बताता है
अपना हक़ भी अब नहीं जताता है,
मेरी तो बस आँखों में ही गुज़रती है
तू रात ऐ यार रोज़ कैसे सो पाता है।

#दिलसे

आँसू…

एक दौर था जब आँसू भी मेरे ना वो देख पाते थे,
आलम ये है की ज़िगर का खून भी पानी नज़र आता है।

#दिलसे

फासले..

कुछ फैसले ऐसे भी…
जो फासलों में बदल गए।

#दिलसे

शराब…

दिल अब कुछ यूँ जलने लगा है
सुरूर  नशे में बदलने लगा है,
पीते थे कभी वक़्त बिताने को
हर दिन अब शराब में ढलने लगा है।

#दिलसे

किनारे..

जिंदगी से मेरी बहुत दूर चले गए,
रोज़ फिर भी तुझे माँगता रहा।
कश्ती सा तू दूर कहीं बहता रहा,
और मैं वहीँ किनारे तलाशता रहा।

#दिलसे

आग़ोश…

रात भर याद तुझे करता रहा
आग़ोश को तेरे तड़पता रहा,
तड़प ये उम्र भर की हो शायद
दिल फिर भी तेरे लिए मचलता रहा।

#दिलसे

नींद..

आँखों से आज फिर गुज़र रही है…
ये नींद भी कमबख्त रोज़ ही मर रही है।

#दिलसे

तिरंगा..

सड़कों पर आज देख तिरंगा बिकता,
वतन फिर हमको याद आया है।

#दिलसे

तन्हाई…

भीड़ में हैं अजीब तन्हाई है,
कैसी ये दुनिया हम ने बसाई है।

#दिलसे

अधिकार नहीं….

हाँ मेरा तुम पर अधिकार नहीं
जीवन में अब वो रस-धार नहीं,
जिन आँखों ने स्वपन सजोये थे
उन नैनों में अब अश्रुधार सही।

इस हृदय ने चाहा था तुम्हे कभी
वो पल हर-पल जैसे हो यहाँ अभी,
मन ने कितने ही थे जो महल बनाये
पग-पग में सब बिखरे धूमिल यहीं।

इन हाथों में थामें हाथ तुम्हारा प्रिये
कितने ही मौसम दोनों हम संग जिए,
नक़्शे खींचे थे कुछ जीवन की राहों के
जुदा मंज़िलों पर हम फिर चल दिए।

तुम्हे समझा पाने के सब प्रयत्नों से
दूर निकल चली तुम मेरे जतनों से,
विजयी ध्वज कुछ फहराने थे पर
जीवन में अब हार मिली तो हार सही।

#दिलसे

ज़ख्म…

गुज़रा तेरे शहर से…तो कुछ ख़त्म सा था,
आँख में आंसू की जगह…एक ज़ख्म सा था।
तुझे भुला देने के सिवा…कोई सूरत भी नहीं,
कभी जिंदगी में मेरीे…तू मलहम सा था।

रुमाल..

ये साल भी गया
तेरा ख़्याल ना गया
कल महकती रात में
मेरा एक और रुमाल गया।

#दिलसे

शराब..

शराब पिला की आज नींद आए,
इसी बहाने शायद वो ना याद आए।

नया गीत…

आज की रात फिर से कहीं,
नींद चहलकदमी पर है।
कहो तो एक नया गीत,
तुम्हारे नाम लिख दूं।
शब्दों में ढ़ाल कर तुम्हे,
एक और नए रुप में देखूं।
मुस्कुराना तुम खुद को,
नया सा फिर से पा कर।
और मैं रात ख़्वाबों में,
एक बार फिर से तुम्हे देखूं।

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आज सिरहाने

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